हम्पी के खंडहर एक समय विजयनगर साम्राज्य की भव्य राजधानी के रूप में जाने जाते थे और आज भी इनका पुरातात्विक और सांस्कृतिक महत्व बना हुआ है। कर्नाटक राज्य के बेल्लारी जिले में स्थित यह स्थल भारतीय इतिहास और वास्तुकला के अनमोल रत्नों में से एक है।
हम्पी की विशेषता इसकी विशाल और अद्भुत संरचनाओं में निहित है, जो अपने समय की शिल्प कला और स्थापत्य क्षमता का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। यहाँ पर पत्थरों से निर्मित मंदिर, महल, व्यापारिक बाजार और कुंड मौजूद हैं, जो कहीं न कहीं उस युग की समृद्धि और शासकों की दूरदर्शिता को दर्शाते हैं।
विरुपाक्ष मंदिर हम्पी का दिल है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इसकी भव्यता और वास्तुशिल्पीय डिज़ाइन आज भी विद्वानों और पर्यटकों को आकर्षित करती है। इस परिसर में मौजूद स्तंभों पर नक्काशी और चित्रांकन अद्भुत हैं और इनमें प्राचीन भारतीय कला का अद्वितीय उदाहरण मिलता है।
विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी हम्पी के स्थापत्य में ध्वनि विज्ञान का शानदार उपयोग देखने को मिलता है। विट्ठल मंदिर परिसर में स्थित 'सप्त स्वरा' नामक स्तंभ इसका प्रमाण है, जहाँ प्रत्येक स्तंभ से विभिन्न संगीत स्वर निकाले जा सकते हैं। यह वहाँ की वास्तुकला की अद्वितीयता को दर्शाता है।
हम्पी का बाजार, जो कभी व्यापार और समृद्धि का केंद्र था, आज खंडहर बन चुका है, लेकिन इसकी छटा और महत्ता में कोई कमी नहीं आई है। प्राचीन समय में यहाँ की सड़कों पर रत्न, स्वर्ण और अन्य मूल्यवान वस्तुओं का कारोबार होता था।
हम्पी का आकर्षण इसके प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्ता से भी है। यहाँ का हर पत्थर, हर इमारत एक कहानी कहती है, जो लोगों को उस समृद्ध अतीत में ले जाती है। विजयनगर साम्राज्य का यह अंश आज भी भारत की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है।
हम्पी की यात्रा करना केवल एक पर्यटन अनुभव नहीं है, बल्कि यह भारतीय इतिहास और वास्तुकला की गहराइयों को समझने का अवसर भी प्रदान करता है। इस अद्वितीय स्थल की संरक्षकता और संरक्षण दोनों ही आवश्यक हैं ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी हमारे इस प्राचीन इतिहास की गौरवपूर्ण धरोहर को जान सकें।